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श्रीराम प्रतिकूलताओं में सहजता बरतने की संजीवनी हैं": प्रो. अमर सिंह

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           मोहिता जगदेव

      उग्र प्रभा समाचार,छिंदवाड़ा

मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के चरित्र पर व्याख्यान आयोजित 

"राम का अनुकरणीय नैतिक आचरण सामाजिक दरारें भरता है": प्रो. अमर सिंह

"राम का चरित्र हाशिए के लोगों के साथ से सार्थकता पाना है ": प्रो. अमर सिंह 

" राम का चरित्र कष्टों में पककर कुंदन बनने का है ": नेमीचन्द व्योम 

उग्र प्रभा समाचार छिंदवाड़ा: विश्वगीता प्रतिष्ठानम उज्जयिनी की छिंदवाड़ा इकाई द्वारा भारत माता छात्रावास नई आबादी छिंदवाड़ा में में रामनवमी पर मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के चरित्र पर आधारित व्याख्यान में प्रमुख वक्ता बतौर बोलते हुए शासकीय महाविद्यालय चांद के प्राचार्य प्रो. अमर सिंह ने कहा कि श्रीराम प्रतिकूलताओं में सहजता बरतने की संजीवनी हैं। विपत्तियों में पुरुषार्थ के अनुशासन का पालन करना कोई राम से सीखे। ऐश्वर्य में जन्म लेकर साधारण जीवन जीने की मर्यादा के प्रतीक हैं। राम प्राप्त को पर्याप्त मानकर संतुष्टि के द्योतक हैं। राम अनुकरणीय नैतिकता से विषमताओं से टक्कर लेकर अपने अदम्य शौर्य से सामाजिक दरारों को भरते हैं। रघुकुल नायक राम कर्म, तप और साधना से मर्यादाओं के रक्षक हैं। राम बड़ों की आज्ञा को श्रद्धा से शिरोधार्य कर हाशिए पर पड़े लोगों के साथ खड़े होकर जीवन की सार्थकता को प्राप्त करते हैं। राम विशुद्ध नैसर्गिक जीवन के अनुयाई हैं, उन्हें कृत्रिम आचरण छू तक नहीं पाता है।


समिति के प्रमुख नेमीचन्द्र व्योम ने देवी कवच और रामरक्षा स्त्रोत का संस्कृत पाठ करते हुए राम के चरित्र पर प्रकाश डालते हुए कहा कि राम सादगी की सभ्यता की साक्षात मूर्ति हैं, उन्होंने कष्टों से संघर्षों करके स्वयं को कुंदन बनाया है। राम भारतीय संस्कृति की प्रखर प्रज्ञा के प्रतीक हैं और मानव से भगवान बनने की यात्रा के पथिक हैं। गीता अनुरागी शंकर साहू ने कहा कि राम के लिए दुःख एक शाश्वत सत्य है, और यह स्वयं को परिष्कृत करके आध्यात्मिक ऊर्जा का अधिकारी बनने का मार्ग प्रशस्त करता है। वियतनाम से सम्मानित होकर लौट वरिष्ठ पत्रकार गोविंद चौरसिया ने कहा कि राम सर्वज्ञ, सर्वव्यापी और समदर्शी हैं, और वे रघुकुल की रीति की रक्षा करने में प्राणों की आहुति देने को तत्पर हैं। दिव्यांग शिक्षक कमलेश साहू ने कहा कि राम आत्मानुशासन के कौशल के महारथी हैं, और अपने आश्रयदाता को दैहिक, दैविक और भौतिक तापों से निजात दिलाते हैं। रामकथा मनुष्यता निर्माण की लोक चेतना को अपने आगोश में रखती है।

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