Type Here to Get Search Results !

कविता आत्मा की खुराक व कायनाद की संरक्षिका है": अवधेश तिवारी

0

        मोहिता जगदेव

    उग्र प्रभा समाचार,छिंदवाड़ा

"कविता पीड़ाओं से उपजे खालीपन को भरने का जरिया है": प्रो. अमर सिंह 

"कविता लिहाज के कारण अव्यक्त की अभिव्यक्ति है ": प्रो. अमर सिंह 

"कविता आगामी फसल की चिन्ता है": अशोक जैन 

" वक्त की अदालत से कोई बच नहीं सकता ": एस. आर. शेंडे 

"नफरत की है फ़िज़ा जगत में, प्यार भरे अनुबंध नहीं हैं": राजेंद्र यादव 

उग्र प्रभा समाचार, छिंदवाड़ा: मध्यप्रदेश आंचलिक साहित्यकार परिषद की शासकीय कन्या जवाहर शाला छिंदवाड़ा में आयोजित काव्यगोष्ठी में पूर्व आकाशवाणी उद्घोषक अवधेश तिवारी ने कहा कि कविता आत्मा की खुराक है एवं कायनाद की संरक्षिका है। पारंपरिक सीमाओं को तोड़ना कविता का लक्ष्य है। मुख्य अतिथि कवि रतनाकर रतन ने व्यवस्था के विरोधाभासी व्यवहार पर करारा प्रहार यों किया "सत्ता की चादर आज सूनी पड़ी है, और हम मिलन के फूल बेचते हैं। विशिष्ट अतिथि सौंसर के वरिष्ठ कवि एस. आर. शेंडे ने "मुखौटे से सच छिप नहीं सकता, वक्त की अदालत से कोई बच नहीं सकता" कहकर वैश्विक सत्ता से डरने पर जोर दिया। विशिष्ट अतिथि कीर्तिलब्ध बालकवि प्रभूदयाल श्रीवास्तव ने शिशु वात्सल्य पर केंद्रित "हेलो मिस्टर चूहे राम" कविता का काव्य पाठ करते हुए सौंदर्य के अमूर्त सार की अभिव्यक्ति को कविता की मूल विषय वस्तु कहा। गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए प्रो. अमर सिंह ने कविता को जीवन की पीड़ाओं में विस्मयबोधक चिन्ह बनकर जहां में खालीपन को भरने का जरिया बताया। कविता उस यथार्थ को भी कह देती है जिसको हम लिहाज के कारण नहीं कह पाते हैं। वरिष्ठ कवि अशोक जैन ने कविता के उद्देश्य को यों परिभाषित किया "जहां कहीं गीत हों, कर्म करने की निष्ठा हो, आने वाली फसल की चिंता हो, कविता वही है।" वरिष्ठ कवि ओमप्रकाश नयन ने सृजन की महत्ता पर यों प्रकाश डाला" तोड़कर बंधन सारे स्नेह निर्झर बहने दो, मुझसे मेरा बचपन लेकर, तुम कुछ सृजन करो "। वरिष्ठ कवि नेमीचंद रेटव्योम ने "मेरे गीत अधर श्रृंगार बनें, वीणा की झंकार बनें" पढ़कर सरस्वती की अर्चना की। कवि हैदर अली खान ने बेटी के महत्व को कुछ यों उकेरा "सो जा, सो जा, सो जा, रानी बेटी सो जा"। वरिष्ठ कवि नंदकुमार दीक्षित ने बसंत चित्रण कुछ यों किया "मोंगरे सी खिली रातें, रातरानी से दिन हो गए हैं"। मंच संचालन करते हुए कवि राजेंद्र यादव ने प्रेम की महत्ता पर अपनी कविता पढ़ी "नफरत की है, फिज़ा जहां में, प्यार भरे अनुबंध नहीं हैं।"


सभी का आभार व्यक्त करते हुए परिषद सचिव रामलाल सराठे रश्मि ने "मैं पुजारी प्रेम का हूं, पूजा का अधिकार दे दो, गीत मेरे गुनगुनाकर, अधरों का उपहार दे दो" कहकर सबको विस्मित कर दिया। वरिष्ठ कवि लक्ष्मण प्रसाद डहेरिया ने "पास उनके है खजाना, हमारा क्या है, बहुत मुश्किल है धन कमाना, हमारा क्या है।" कवयित्री श्रीमती नीलम अनिल पवार ने "विश्व पटल पर लहराए, जब छिंदवाड़ा की शान" कहकर अपने शहर छिंदवाड़ा की विरासत का बखान किया। कवयित्री अनुराधा तिवारी ने बेटी को सृष्टि के केंद्र में रखकर अपनी कविता पढ़ी "मैं सृष्टि की जन्मदात्री, सबसे एक सवाल करूं, कोई मेरा दोष बता दे, क्यों न मैं अवतार धरूं। " जबलपुर से पधारी गूंज साहित्यिक संस्था की कवयित्री श्रीमती माधुरी मिश्रा ने अपनी कविता पढ़ी "ठोकरें खाने से पहले संभलना सीखो, वक्त के साथ अपनी सोच बदलना सीखो"। कवयित्री श्रीमती शरद मिश्रा ने अपने वक्तव्य में कविता को ब्रह्मांड की समस्त दिव्य सत्ताओं के करीब माना। काव्य गोष्ठी आयोजित करने में संस्था के प्राचार्य प्रसिद्ध कहानीकार दिनेश भट्ट का सराहनीय योगदान रहा।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ