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अम्बेडकर असमानता की खाई को पाटने वाले क्रांति दूत थे": प्रो. अमर सिंह

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      मोहिता जगदेव

  उग्र प्रभा समाचार,छिंदवाड़ा

शासकीय महाविद्यालय चांद में अम्बेडकर जयंती पर व्याख्यान आयोजित

"किरदार से महकते चरित्र से बेहतर कोई इत्र नहीं ": प्रो. अमर सिंह 

शोषणकारी व्यवस्था के विरुद्ध मुखर अभिव्यक्ति के पुरोधा थे : संतोष अमोडिया 

अम्बेडकर विकट परिस्थिति में स्थिति संभालने वाले लोकनायक हैं": प्रो. अमर सिंह 

उग्र प्रभा समाचार ,चांद छिंदवाड़ा: शासकीय महाविद्यालय चांद में राष्ट्रीय सेवा योजना और व्यक्तित्व विकास विभाग द्वारा "अम्बेडकर दर्शन की आधुनिक परिवेश में उपादेयता" विषय पर आयोजित व्याख्यान में प्राचार्य प्रो. अमर सिंह ने कहा कि अंबेडकर दर्शन असमानता की खाई को पाटने वाले क्रांति दूत की अभिव्यक्ति है, जिसमें सफलता कोसने से नहीं, संघर्ष से मिलती है। असफलता के लिए परिस्थितियों को दोषी ठहराकर व्यक्ति अपनी निजी दुर्बलताओं को ही जाहिर करता है। बुद्धि का विकास मानव विकास का अंतिम लक्ष्य है। उन्होंने अमानवीय विषमताओं के विरुद्ध संवैधानिक प्रावधानों के माध्यम से समानता के महानायक बनने का गौरव प्राप्त किया। उन्होंने कार्मिक उत्कृष्टता से वांक्षित लक्ष्य प्राप्ति को अपने दर्शन के केंद्र में रखते हुए कहा था कि किरदार से महकता चरित्र पवित्र करने वाला कोई इत्र नहीं है। अम्बेडकर ने विकट परिस्थितियों में अपनी स्थिति को संभालकर मानवीयता निर्माण के सरोकारों से जूझकर आदर्श स्थापित किया। प्रो. रजनी कवरेती ने कहा कि अंबेडकर ने हमेशा ही समावेशी प्रतिभागिता से समावेशी विकास प्रक्रिया पर जोर रहा। वे स्वानुभूति की दुर्लभ मूर्ति थे, तभी तो भारतीय संविधान सदियों से शोषित पीड़ित वेबश समाज का प्रतिनिधि दस्तावेज है। प्रो . जी. एल. विश्वकर्मा ने कहा कि गैर बराबरी पर अम्बेडकर जैसा क्रूरता भरा प्रहार और किसी ने नहीं किया। प्रो. आर. के. पहाड़े ने कहा कि अम्बेडकर ने अवरोधों के झंझावातों को धता बताकर सही मायने में शिक्षित बौद्धिक इंसान होने का एक नायाब आदर्श प्रस्तुत किया।


प्रो. सुरेखा तेलकर ने कहा कि बाबासाहेब के युग परिवर्तनकारी योगदान को कोई मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति ही नकार सकता है। प्रो. सकरलाल बट्टी ने कहा कि बाबासाहेब का व्यक्तित्व ऐसा था कि उनके विरोधी भी अस्पृश्यताओं की असमानताओं के खिलाफ उनकी कक्रांति के कायल होकर प्रशंसा करते हैं। प्रो. संतोष उसरेठे ने कहा कि अंबेडकर को भावी पीढ़ियां विषमताओं के विरुद्ध मुखर शंखनाद करने वाले जननायक के रूप में याद करेंगी। प्रो. रक्षा उपश्याम ने कहा कि अंबेडकर निर्बल व्यक्ति के आर्थिक सुदृढ़ीकरण के प्रावधानों को मूर्त स्वरूप देने वाले विधिवेत्ता थे। संतोष अमोडिया ने कहा कि अंबेडकर सामुदायिक असमानता से उपजी शोषणकारी व्यवस्था के विरुद्ध मुखर अभिव्यक्ति के पुरोधा थे।

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