मोहिता जगदेव
उग्र प्रभा समाचार,छिंदवाड़ा
" मंचीय अभिनय स्वयं को निखारने की अचूक विधि है": अभिनेता विक्रम तांडेकर
'जब हमारा किरदार सशक्त होता है तो सफलता हमारे चरण चूमने आ जाती है ': प्रो .अमर सिंह
"जीवन के खरे सबक मुसीबत की पाठशाला से सीखें": विक्रम तांडेकर
"अंतर्मन की अभिरुचि के व्यवसाय में महारत मिलती है ": अभिनेता विक्रम तांडेकर
उग्र प्रभा समाचार,चांद छिंदवाड़ा: शासकीय महाविद्यालय चांद के रेड रिबन क्लब के अभिजात शिक्षकों को अभिप्रेरित करते हुए बंगाल 1947 फिल्म के मशहूर किरदार विक्रम तांडेकर कहा कि मंचीय अभिनय स्वयं को निखारने की सर्वोत्तम विधि है। जिंदगी के सबसे यादगार सबक मुसीबतों की पाठशाला में सीखे जाते हैं। जब अंतर्मन की आवाज से निकले व्यवसाय को व्यक्ति चुनता है तो फिर उससे जुड़ने में महासागरीय गहराई प्राप्त होती है और वही हमें महारत हासिल करवाती है। खुद की नजर में उठने से बड़ा कोई बड़प्पन नहीं है। जो कठिन लगे उसे ही करके हम हर दिन उत्कृष्टता की ऊंचाई के पायदान चढ़ते हैं। हकीकत से भागकर हम कभी नहीं जा सकते हैं, एक न एक दिन हमें उसका सामना करना ही पड़ता है।प्राचार्य एवं रेड रिबन अधिकारी प्रो. अमर सिंह ने कहा कि जब हमारा किरदार सशक्त होता है तो सफलता हमारे चरण चूमने आ जाती है। हमें जीवन में कभी नहीं छोड़ने वाला रवैया अपनाना चाहिए भले ही लक्ष्य प्राप्ति में कितने ही अवरोध क्यों न आएं। प्रो. रजनी कवरेती ने कहा कि हम अपनी अभिप्रेरणा जितने विकसित होते हैं, और निराशा जीतने नीचे। प्रो. आर.के. पहाड़े ने कहा कि हमारे संस्कार हमारे चरित्र का निर्माण करते हैं, और चरित्र के गुण हमारे बनने का अन्तिम फैसला लेते हैं। कार्यशाला में महाविद्यालय के सभी छात्रों व स्टाफ की उपस्थिति रही।