Type Here to Get Search Results !

चांद कॉलेज में जल प्रबंधन एवं पर्यावरण सुरक्षा पर कार्यशाला का आयोजन

0

 संवाददाता - मोहिता जगदेव

उग्र प्रभा समाचार ,छिंदवाड़ा

" भविष्य यदि हरा नहीं होगा तो होगा ही नहीं"; प्रो. सिंह

"अगर आदमी उड़ सकता तो आसमान को भी नष्ट कर देता:" प्रो. सिंह

सिर्फ संतुलित तापमान पर ही पृथ्वी स्वर्ग रह सकती है,: प्रो.सुरेखा तेलकर

विश्व का हर जीवधारी अपने हिस्से की शुद्ध ऑक्सीजन का अधिकारी है: नीलेश नाग

उग्र प्रभा समाचार चाँद ,छिंदवाड़ा शासकीय महाविद्यालय चांद में अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण दिवस पर  रासेयो द्वारा "जल प्रबंधन एवं पर्यावरण सुरक्षा" विषय पर आयोजित  कार्यशाला में मुख्य अतिथि बतौर बोलते हुए प्रो. सकरलाल बट्टी ने कहा कि मानव की असंतुलित गतिविधियां जो पर्यावरण में खतरनाक परिवर्तन लाती हैं, उसे पर्यावरण प्रदूषण कहते हैं। मानव विकास की अंधी दौड़ में जंगलों की अंधाधुंध कटाई, औद्योगीकरण के कारण कल कारखानों व बेइंतहा फ़सल उत्पादन के लिए रासायनिक खादों का अति प्रयोग हरी-भरी बसुंधरा को मानव के रहने के योग्य नहीं छोड़ा है। प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक प्रयोग  हवा, जल, ध्वनि, मृदा, प्रकाश व रेडियोएक्टिविटी की गुणवत्ता में अशुद्धता पैदा करता है। प्राचार्य डॉ. अमर सिंह ने कहा कि पर्यावरणविदों के अनुसार जंगल जमीन के फेफड़े हैं, जो हवा को शुद्ध करने का काम करते हैं। यदि भविष्य हरा नहीं होगा, तो होगा ही नहीं। संतुष्टि प्रकृति की अकूत दौलत है, और लिप्सा दानवीय प्रवृत्ति। अगर इंसान उड़ पाता तो आसमान को भी प्रदूषित कर देता। 

प्रो.रजनी कवरेती ने कहा कि हमारा पर्यावरण हमारे रवैये व  अपेक्षाओं का आयना होता है। हमें पर्यावरण आंदोलन के शहीदों को देश पर हुए कुर्बान शहीदों के समान दर्जा देना चाहिए। जलवायु परिवर्तन एक गंभीर समस्या है जिसके ग्रीनहाउस दुश्प्रभावों से ओजोन परत को पहुंचे नुकसान से बढ़ते तापमान के कारण मानव अस्तित्व को खतरा पैदा हो गया है। प्रो. सुरेखा तेलकर ने कहा कि  पर्यावरण को खतरा अमीरों की अमीरों से व कंपनियों की मुनाफाखोरी से बहुत है। पक्षी पर्यावरण के संकेतक हैं, अगर वे खतरे में हैं तो हम भी नहीं बच सकेंगे। सिर्फ संतुलित तापमान पर ही पृथ्वी स्वर्ग रह सकती है। नीलेश नाग ने कहा कि पृथ्वी हमारी नहीं, हम पृथ्वी के हैं। विश्व का हर जीवधारी अपने हिस्से की शुद्ध ऑक्सीजन का अधिकारी है। रक्षा उपश्याम ने कहा कि विकास की अंधी दौड़ में हम कंक्रीट का जंगल खड़ा कर रहे हैं। प्रकृति के सभी रूप हमारे उत्कृष्ट शिक्षक हैं जो हमें किताबों से अधिक सिखा सकती हैं। हमारे अहसास ही स्वार्थपूर्ण हैं जो हमें प्रकृति में दिव्यता के दर्शन नहीं करने देते हैं। संतोष अमोडिया ने कहा कि  हर फूल प्रकृति में खिली आत्मा है। आनंद रजक ने कहा कि  जब प्रकृति किसी असाधारण काम को करवाना चाहती है तो वह किसी प्रतिभा को जन्म देती है। प्रकृति से स्नेह सम्पन्नता के द्वार खोलता है।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ