संवाददाता - मोहिता जगदेव
उग्र प्रभा समाचार,छिंदवाड़ा
" डिजिटल शिक्षण अल्लादीन के चिराग की तरह समस्या समाधान करती है": प्रो. एलहाम हुसैन ढाका यूनिवर्सिटी बांग्लादेश
" शिक्षक आधुनिक अधिगम तकनीक से छात्रों के साथ भावनात्मक जुड़ाव अवश्य रखें ": डॉ. संतोष जाटव अतिरिक्त संचालक जबलपुर
" छात्र वैश्विक डिजिटल ज्ञान निधि के चमत्कारिक फायदे उठाएं ": प्रो. अरविंद नवले लातूर महाराष्ट्र
"छात्र डिजिटल अधिगम में महारत हासिल कर राष्ट्र निर्माण में योगदान करें": विजय कुसुंबे नागपुर
" डिजिटल अधिगम में प्रौद्योगिकी के साथ स्वभावगत समन्वय एक बड़ी चुनौती है ": प्रो. प्रमेश पाल आगरा
उग्र प्रभा समाचार,चांद छिंदवाड़ा: शासकीय महाविद्यालय चांद में "अध्यापन और अधिगम में आधुनिक तकनीक का उपयोग और महत्व" विषय पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय वेबीनार में प्रमुख स्त्रोत वक्ता के रूप में बोलते हुए ढाका सिटी कालेज के अंग्रेजी के विभागाध्यक्ष प्रो. एलहाम हुसैन ने कहा कि कोविड की महामारी के बाद अध्यापन और अधिगम में डिजिटल तकनीक ने ज्ञान प्राप्ति की पहुंच को वैश्विक बना दिया है। आज चैट जीपीटी और कृत्रिम बौद्धिकता अल्लादीन के चिराग की तरह पलक झपकते ही प्रश्नों के समाधान कर रहीं हैं। विश्व की संचित बौद्घिक निधि के रिसोर्स मानव की व्यक्तिगत पहिचान को वैश्विक पहिचान के साथ तादात्म्य स्थापित कर रही है। विशिष्ट वक्ता शिवाजी महाविद्यालय उदगिर लातूर महाराष्ट्र के प्राचार्य और अंग्रेजी के विभागाध्यक्ष प्रो. अरविंद के नवले ने कहा कि शिक्षण की आधुनिक तकनीक ने विभिन्न विधाओं के डाटा रिसोर्सेस को एक प्लेटफार्म पर लाकर अध्यापन व अधिगम को उत्पादन आधारित बना दिया है जिससे शिक्षण प्रशिक्षण की पूरी प्रक्रिया कम खर्चीली होकर नवाकार ले रही है। एनआईआईटी फाउंडेशन के प्रांतीय प्रमुख विजय कुसुम्बे ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज अध्यापन और अधिगम की तकनीक में क्रांतिकारी परिवर्तन से हर व्यक्ति डिजिटल तकनीक में महारत हासिल करके राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देकर सबसे बड़ी सेवा कर सकता है।
आधुनिक शिक्षण अधिगम तकनीक दूरस्थ अंचलों के छात्रों के लिए एक वरदान साबित हुआ है ": डॉ. रंजना मिश्रा विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी जबलपुर
"आधुनिक शिक्षण अधिगम तकनीक शैक्षिक संस्थानों में व्याप्त अमीर गरीब के बीच भेदभाव को न्यूनतम करेगी ": प्रो. लक्ष्मीचंद प्राचार्य पी. जी. कॉलेज छिंदवाड़ा
" डिजिटल तकनीक से आसानी से प्राप्त ज्ञान की कीमत न चुकाने के कारण कुपच की समस्या खड़ी हो गई है ": प्रो. अमर सिंह प्राचार्य शासकीय महाविद्यालय चांद छिंदवाड़ा
आर. बी. एस. कालेज आगरा के रिसोर्स पर्सन प्रो. प्रमेश पाल ने कहा कि शिक्षण अधिगम प्रक्रिया में प्रौद्योगिकी के साथ समन्वय स्थापित करके तकनीक के साथ भावनात्मक पक्ष को बरकरार रखने की एक गंभीर चुनौती है। अधिगमकर्ता की व्यक्तिगत भिन्नताओं को ध्यान में रखकर शिक्षा दी जानी चाहिए। सफल तकनीक वही है जो लोगों को जोड़ने का काम करे। अतिरिक्त संचालक डॉ. संतोष जाटव ने शिक्षकों को अध्यापन की आधुनिक तकनीकों से रूबरू होकर छात्रों के साथ शैक्षिक निकटता बढ़ाने पर जोर दिया। विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी डॉ. रंजना मिश्रा ने अधिगम की आधुनिक तकनीक को दूरस्थ अंचलों में रह रहे छात्रों के लिए एक वरदान बताया। पी. जी. कॉलेज छिंदवाड़ा के प्राचार्य डॉ.लक्ष्मीचंद ने अपने उद्बोधन में कहा कि आधुनिक अधिगम प्रक्रिया के सदुपयोग से शिक्षा के क्षेत्र में अमीर गरीब के बीच फैले भेदभाव को न्यूनतम किया जा सकता है। प्राचार्य डॉ. अमर सिंह ने कहा कि डिजिटल तकनीक की क्रांति से आसानी से उपलब्ध ज्ञान की कीमत न चुकाए जाने से कुपच की समस्या खड़ी हो गई है। संयोजक श्रीमती रजनी कवरेती ने कहा कि नई तकनीक ने सीखने की प्रक्रिया को अधिकतम गति प्रदान की है। संगठन सचिव डॉ. जी. एल. विश्वकर्मा ने कहा कि ज्ञान के स्रोत सभी के लिए खुले हैं, मायने यह रखेगा कि इनका फायदा कौन कितना उठाता है। इस वेबिनार में शोध पत्र प्रस्तुत करने वालों में प्रो. मंजरी अग्निहोत्री सीहोर, डॉ. मनीषा खासा रोहतक हरियाणा, प्रो. जूड फर्नांडीज गोवा, धर्मिष्ठा विजयकुमार ओजा नरोड़ा अहमदाबाद गुजरात, पुनीता एंड्रयूज इंदौर और कल्पित पाठक छिंदवाड़ा प्रमुख थे। अंतर्राष्ट्रीय वेबीनार को सफल बनाने में तकनीकी सहयोग डॉ. तपस्या पांडे, प्रो. सकरलाल बट्टी और संतोष अमोडिया ने दिया। वेबिनार में विशेष भूमिका का निर्वहन प्रो. आर. के. पहाड़े, प्रो. सुरेखा तेलकर, प्रो. संतोष उसरेठे, प्रो. रक्षा उपश्याम, नीलेश नाग, सुनील पाटिल, नरेश चौधरी, कमलेश चौधरी, आनंद रजक व श्वेता चौहान ने किया।