संवाददाता - मोहिता जगदेव
उग्र प्रभा समाचार,छिंदवाड़ा
"गीता मानवता के संकट मोचन की अनुपम कृति है": प्रो. अमर सिंह
" गीता दर्शन से जीवन का दिव्य रूपांतरण संभव है": प्रो अमर सिंह
"गीता मानव हेतु आध्यात्मिक चेतना का महाप्रसाद है": प्रो. अमर सिंह
उग्र प्रभा समाचार, छिंदवाड़ा: विश्वगीता प्रतिष्ठान छिंदवाड़ा इकाई द्वारा शुभेश्वर महादेव मंदिर शुभालय कॉलोनी नरसिंहपुर रोड पर आयोजित व्याख्यान में प्रमुख वक्ता प्रो. अमर सिंह ने कहा कि गीता मानवता को संकट से उबारने की दिव्य कृति है। आज तक गीता की टक्कर की जीवन प्रबंधन की कोई कृति बनी ही नहीं है। गीता ज्ञान से जीवन का दैवीय रूपांतरण संभव है। गीता प्रबुद्ध वचनों का अमृत कलश है। योगेश्वर की वाणी जनमानस के उद्धार के लिए है। गीता आध्यात्मिक चेतना का महाप्रसाद है। गीता का दर्शन बताता है कि अहम त्याग से ही गहन रसानुभूति संभव है। जिंदगी में भागने से नहीं, जूझने से चमत्कार होते हैं। कर्म के आगे किस्मत घुटने टेक देती है। जीवन में मुश्किलें काबिलियत परीक्षण की प्रयोगशाला होती हैं। हमारे विचार असीम बल उत्पत्ति का रहस्य हैं। गीता आत्मदर्शन हेतु सभी शास्त्रों का निचोड़ है। नरेंद्र सिंह वर्मा ने कहा कि गीता दर्शन कर्म यज्ञ से सिद्धि सामर्थ्य प्रदात्री है और परमानंद की परमानुभूति का रसास्वादन करवाती है।रमेश मिगलानी ने कहा कि गीता सर्वकालिक सर्वमान्य सर्वोत्कृष्ट अभिव्यक्ति है। शंकर लाल साहू ने कहा कि गीता दर्शन भय, संदेह, भ्रम, अंतर्द्वंद्व और जीवन की तमाम उलझनों का समाधान है। कार्यक्रम आयोजक खुशाल अग्रवाल ने कहा कि गीता का दर्शन यकीन, संकल्प और लगन हमें बंधी बंधाई सीमाओं से बाहर निकालती है। निरपत सिंह वर्मा ने कहा कि गीता हमें अवास्तविक और काल्पनिक सुखों के भंवर से बाहर निकालती है। कश्मीरी लाल बत्रा ने कहा कि गीता व्यक्तित्व विकास का दृष्टिपथ है। नरेंद्र रघुवंशी ने कहा कि गीता पुरुषार्थ और पराक्रम का बोध कराने वाली मार्गदर्शिका है। अजय वर्मा ने कहा कि पुरुषार्थ का सिरा सामने आने के बाद प्रारब्ध शुरू हो जाता है। कार्यक्रम में शंकर लाल साहू, अजय वर्मा, गोपाल मिगलानी, नंद कुमार दीक्षित, अरुणाजी अग्रवाल, कीर्ति बत्रा, सुषमा बत्रा, बांसुरी वाले विश्वकर्मा और निर्मलाचार्य जी का विशेष सहयोग रहा।