संवाददाता - मोहिता जगदेव
उग्र प्रभा समाचार,छिंदवाड़ा
"छंदमुक्त कविता में आंतरिक छंदयुक्तता का अनुशासन होता है": कौशल किशोर श्रीवास्तव
"बिना छंद विधान के कायनात की संरक्षिका कविता कोरी अभिव्यक्ति होती है ": अवधेश तिवारी
"आलोचना सुनने की सामर्थ्य कवि की संवेदना को गहरा करती है": अशोक जैन
उग्र प्रभा समाचार,छिंदवाड़ा मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार कौशल किशोर श्रीवास्तव ने कहा कि छंदमुक्त कविता में आंतरिक छंदयुक्तता होती है। पद्य में वर्ण और अर्थ का संगत मेल, लयात्मकता और भाषाई अनुशासन निहायत जरूरी होता है। प्रतिक्रियाएं स्वागत योग्य होती हैं, और सृजन को परमार्जित करती हैं। कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए शासकीय महाविद्यालय चांद के प्राचार्य प्रो. अमर सिंह ने कहा कि कविता मानवीय आवेगों की रसानुभूति का पुनः प्रसारण होती है, ब्रह्मानंद की अनुभूति कराती है और सत्यं शिवम् सुंदरम का संदेश देती है। कविता की विषय वस्तु में विडंबनात्मक बेचैनियां, सृष्टि के रहस्यों का उद्घाटन और अमर्यादित आचरण को निर्वस्त्र करने की अपार शक्ति होती है। विशेष अतिथि प्रदीप श्रीवास्तव ने कहा कि कविता मानसिक विलासिता नहीं है बल्कि आम आदमी के सरोकारों की पैरोकार है। बंदिशें भावनाओं के विस्तार को रोकती हैं। मानव मुक्ति व छंदमुक्ति दोनों पर्यायवाची हैं।इंसानियत के निर्माण में स्वर्गीय सौंदर्य को उतारना ही काव्यधर्म है ": प्रो. अमर सिंह
" सांस्कृतिक अवमूल्यन की अनावश्यकता कविता की आत्मा को मार देती है": प्रो. विजय कलमधार
पूर्व आकाशवाणी उद्घोषक अवधेश तिवारी ने कहा कि कविता इतिहास के अध्येता बने बिना कायनाद की संरक्षिका कविता अनिर्वचनीय आनंद से वंचित हो जाती है। कविता अंदर के अंधेरे का शमन करती है। भाव व शिल्प की रक्षा होनी ही चाहिए। विशेष वक्ता प्रो. विजय कलमधार ने कहा कि अनावश्यकता कविता की आत्मा को मार देती है। कविता में बिना सांस्कृतिक मूल्यों के समझे ऋषितत्वों का समावेश नहीं हो सकता है। बिना संवेदनात्मक संप्रेषणीयता के निष्णात कवि नहीं हो सकता है। अशोक जैन ने कहा कि आलोचना सुनने की सामर्थ्य कवि बनाती है। व्यथा के सौंदर्य बखान, विषय के मर्म की गहराई और भाषा के सलीके की समझ बिना कविता लिखना बेतुका है। कार्यशाला में प्रश्न पूछने वालों में रहेश वर्मा, अंशुल शर्मा व पद्मा जैन प्रमुख थी। अनुराधा तिवारी, की सरस्वती वंदना के साथ नंद कुमार दीक्षित, लक्ष्मण प्रसाद डहेरिया, राजेंद्र यादव, शशांक पारसे, अंकुर बाल्मीकि, रोहित रूसिया, विश्वेश चंदेल, ओमप्रकाश नयन, परसराम डहेरिया, प्रीति जैन शक्रवार, शशांक दुबे, विकल जौहरपुरी व निर्मल प्रसाद उसरेठे की गरिमामई उपस्थिति रही। आभार प्रदर्शन का दायित्व निर्वहन समिति के सचिव रामलाल सराठे ने किया।