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आंचलिक साहित्यकार परिषद की "कविता की विषयवस्तु" पर समीक्षा बैठक

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    मोहिता जगदेव

 उग्र प्रभा समाचार , छिंदवाड़ा 

"कविता मुक्त छंद रचित होते हुए भी छंदरहित नहीं होती है ": अवधेश तिवारी 

" कविता अमर्यादित आचरण पर लगाम लगाने का जरिया है ": प्रो. अमर सिंह 

"कविता शब्द, लय व शैली व कल्पना को एक साथ जोड़ती है": अशोक जैन 

कविता ,विचारों की जमीन पर भावनाओं का उन्मुक्त प्रवाह है : विजय आनंद दुबे

उग्र प्रभा समाचार,छिंदवाड़ा 

आंचलिक साहित्यकार परिषद की छिंदवाड़ा इकाई की " कविता की विषयवस्तु" पर मतदान प्रतिशत को बढ़ाने पर आयोजित समीक्षा बैठक में मुख्य समीक्षक पूर्व आकाशवाणी उद्घोषक अवधेश तिवारी ने कहा कि कविता वंचितों की प्राणवायु, कायनात की संरक्षिका व विचलितों की व्यथा की काव्य गाथा है। यह मुक्त छंद में रचित होते हुए भी छंद से बिल्कुल मुक्त कभी नहीं होती है। मुख्य अतिथि अशोक जैन के अनुसार कविता बदलाव की वह बयार है जो हक से वंचितों के आक्रोश की अभिव्यक्ति है। यह शब्द, लय, शैली, शिल्प व कल्पना को एक साथ जोड़ती है। विशिष्ट अतिथि प्रो. अमर सिंह ने कहा कि काव्य वह बल विचार है जो अमर्यादित आचरण को निर्वस्त्र कर देता है,बिगड़ों को सलीका सिखाने का अमृत कलश है। नाट्यकर्मी विजयानंद दुबे ने कविता को मन की स्लेट पर बहता अक्षर बताया जो सत्यं, शिवम् ,सुंदरम के संदेश को नाटकीय ढंग से बांचती है। वरिष्ठ कवि ओमप्रकाश नयन ने कविता को देह के पार की इंद्रिय अतीत की समझ का बखान बताते हुए काव्यमर्म को निर्बल का ढाढस कहा। परिषद सचिव रामलाल सराठे रश्मि ने कविता को संसार का वह सबसे सुरभित पुष्प कहा जो सृष्टि के रहस्यों का उद्घाटन करता है। नाट्यकार सचिन वर्मा ने कविता को मनोभावों को कलात्मक अंदाज में व्यक्त लोक के दर्द का गीत कहा जो टूटे को हौसला बंधाता है। वरिष्ठ कवि नंदकुमार दीक्षित ने कविता को स्वयं का मोल जाने बिना बलिवेदी पर कुर्बान होने वालों की गाथा का गान, राजेंद्र यादव ने कविता को आत्मा की औषधि कहा ।
मोहिता जगदेव कमलेंदु ने कविता को ज्वलंत मानसिक आवेगों का सजीव चित्रण बताया। पद्मा जैन ने कविता को बेजुबानों को जुबान देना काव्य धर्म, स्वप्निल जैन ने काव्य चेतना को मानवीय सरोकारों  की संवेदनात्मक अभिव्यक्ति एवं मंजु देशमुख ने कविता को संस्कृति के सामूहिक जागरण की प्रतिष्ठा की प्राणवायु बताया। प्रीति जैन शक्रवार ने कविता को प्रकृतिनिष्ठ संपूर्ण सौंदर्य को जाहिर करने की सृजनात्मक शक्ति, सावी श्रीवास्तव ने कविता में पैसा नहीं, पैसे में कविता नहीं और मुकेश जगदेव ने कहा कि कविता संक्षिप्तता में पनपती है, कष्ट उठाके कविता नहीं लिखी जाती है। पुष्पा सिंह ने कहा कि कविता संवेदी अनुभवों का दिव्य नैसर्गिक प्रवाह है, यह सौंदर्य के अमूर्त सार को पकड़ने की शैली है जो पारंपरिक सीमाओं को तोड़ती है।

कविता की विषयवस्तु की समीक्षा के द्वितीय दौर में अवधेश तिवारी ने कहा कि कविता अलंकार, नवरस व संभावित उत्कृष्ट की कल्पना है जो छंदों की श्रृंखला में विधिवत बांधकर रचित होती है। प्रो. अमर सिंह ने कहा कि कविता मुस्कराती आंखों को द्रवित करने वाली अटल सच्चाई है। शालीनता का संयम सिखाने में कविता से बढ़कर कोई और माध्यम नहीं है। अशोक जैन ने कहा कि कविता वंचितों की प्रतिष्ठा को स्थापित करने की प्राणवायु है, यह अपनों द्वारा अपनों को वृद्धाश्रम में धकेले गए वृद्धों की विकल वेदना है, जो पत्थर को भी पिघला सकती है। विजयानंद दुबे ने कहा कि कविता उनकी गाथा का गीत है जो अपनी गर्दन का मोल लिए बिना राष्ट्र की बलिवेदी पर सहर्ष चढ़कर शहीद हो गए हैं। आभार प्रदर्शन परिषद के सचिव रामलाल सराठे ने किया।

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