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साहित्य रंगमंच और समाज पर राज्यस्तरीय परिचर्चा संपन्न*

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              मोहिता जगदेव

      उग्र प्रभा समाचार,छिंदवाड़ा

रंगकर्मियों का समाज से जुड़ाव बहुत आवश्यक है- गिरिजा शंकर*

नाटक सिर्फ आत्म सुखाय नहीं होना चाहिए दर्शकों की पसंद ना पसंद का भी ख्याल रखना चाहिए: गिरिजा शंकर

सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता है और मेहनत का कोई विकल्प नहीं होता:गिरिजा‌शंकर

 रंगमंच किताब साहित्य व रंगमंच के लिए एक अमूल्य धरोहर है, इसे विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में शामिल होना चाहिए: पंकज सोनी

कार्यक्रम का संचालन रोहित रूसिया ने किया

उग्र प्रभा समाचार,छिंदवाड़ा/ रंगकर्मियों का दर्शकों से जुड़ाव बहुत जरूरी है ,क्योंकि नाटक आखिरकार उन्हीं के लिए किया जाना है। नाटक सिर्फ आत्म सुखाय नहीं होना चाहिए दर्शकों की पसंद ना पसंद का भी ख्याल रखना चाहिए। सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता है और मेहनत का कोई विकल्प नहीं होता। नाटक वही सफल होता है जब दर्शकों को लगता है कि यह उन्हीं की कहानी है और यह उनसे जुड़ाव के बिना संभव नहीं है। यह विचार नाट्यगंगा द्वारा आयोजित साहित्य, रंगमंच और समाज विषय पर आधारित राज्य स्तरीय परिचर्चा में भोपाल से पधारे वरिष्ठ पत्रकार एवं नाट्य समीक्षक गिरिजा शंकर जी ने व्यक्त किए। हिन्दी प्रचारिणी समिति, प्रगतिशील लेखक संघ, हिन्दी साहित्य सम्मेलन और युवा प्रतिभा प्रोत्साहन मंच के संयुक्त आयोजन में आयोजित इस कार्यक्रम में गिरिजा शंकर जी को नाट्यगंगा परंपरा सम्मान से सम्मानित भी किया गया। यह परिचर्चा गिरिजा शंकर जी के द्वारा लिखित किताब ‘रंगमंच’ के संदर्भ में एवं वर्तमान रंगकर्म पर आयोजित की गई। इस परिचर्चा में छिंदवाड़ा के वरिष्ठ साहित्यकार हेमेन्द्र कुमार राय, अवधेश तिवारी एवं कहानीकार दिनेश भट्ट ने संदर्भित विषय पर अपने विचार रखे। कार्यक्रम में विशेष आमंत्रित वक्ताओं के रूप में वरिष्ठ रंगकर्मी हिमांशु राय, कथाकार राजेन्द्र दानी जबलपुर से और वरिष्ठ रंगकर्मी नेताराम रावत बैतूल से उपस्थित रहे। वरिष्ठ रंगकर्मी और नाटककार श्री पंकज सोनी ने श्री गिरिजाशंकर की किताब रंगमंच पर अपने विचार रखते हुए कहा कि यह किताब इस काल खंड में भारत वर्ष होने वाले नाटकों का दस्तावेज है। यह किताब न केवल रंगमंच और साहित्य दोनों के लिए एक अमूल्य धरोहर है, इसे विश्वविद्यालय में पाठ्यक्रम में शामिल होना चाहिए। कार्यक्रम का संचालन रोहित रूसिया ने किया। कार्यक्रम में सभी अतिथियों का स्वागत छिंदवाड़ा के साहित्यकारों की किताबों को भेंट कर किया गया। कार्यक्रम के अंत में नाट्यगंगा अध्यक्ष सचिन वर्मा ने आभार प्रदर्शन किया। उपस्थित साहित्यकारों एवं रंगकर्मियों ने इस कार्यक्रम को साहित्य, रंगकर्म और समाज के संबंधां को पुर्नपरिभाषित करने वाला बताया और बार बार ऐसे कार्यक्रम किए जाने की बात कही।

कलाकारों की ली मास्टर क्लास*

वरिष्ठ रंगकर्मी गिरिजा शंकर जी ने दोपहर में नाट्यगंगा के कलाकारों को मास्टर क्लास के द्वारा अभिनय एवं रंगकर्म की बारिकियां भी सिखाईं। उन्हांन रंगकर्मियों को बहुत सारा पढ़ने, बहुत से नाटक देखने और हमेशा रियाज़ करने की सीख दी। एक सवाल का जवाब देते हुए आपने कहा कि क्रिएटीविटी का कोई विकल्प नहीं होता। अभिनय की कोई मेथड नहीं होती बस वो तो कैरेक्टर की मांग के अनुरूप होना चाहिए। 

*ये रहे उपस्थित*

कार्यक्रम में रणजीत सिंह परिहार, प्रणय नामदेव, शेफाली शर्मा, गीतांजली गीत, मोहिता जगदेव, चंदन अयोधि अश्क, राकेश राज, अमजद खान, रामलाल सराठे, राजकुमार चौहान, ओमप्रकाश नयन, राजेश विश्वकर्मा, अमित सोनी, दानिश अली, नितिन वर्मा, हर्ष डेहरिया, प्रहलाद उइके, रूपेश डेहरिया, हेमंत नांदेकर, नीता वर्मा, कुलदीप वैद्य, मनीषा जैन, स्वाति चौरसिया, निकेतन मिश्रा, सुवर्णा दीक्षित, अशोक जैन, सुरेन्द्र वर्मा, सीमा रघुवंशी, सी एल चौरसिया, ज्योति गुप्ता, सोनम सोनी, अनुराधा तिवारी आदि उपस्थित रहे।

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