मोहिता जगदेव
उग्र प्रभा समाचार,छिंदवाड़ा
" केदारनाथ कवि शोषित जनतांत्रिक चेतना के कवि थे": प्रो. सिंह
" केदारनाथ ग्राम्य परिवेश में अमानवीयता को उजागर कवि हैं ": प्रो. सिंह
" केदारनाथ कृषकों की कराहती कारुणिक वेदना के कवि हैं ": प्रो. सिंह
उग्र प्रभा समाचार
छिंदवाड़ा: श्री मध्य भारत हिंदी साहित्य समिति इंदौर द्वारा आयोजित केदारनाथ अग्रवाल पुण्य स्मृति व्याख्यान एवं पोस्टर विमोचन समारोह में मुख्य वक्ता बतौर बोलते हुए प्रो. अमर सिंह ने कहा कि केदारनाथ अभावों में उलझी कृषकों की कराहती कारुणिक वेदना के कवि हैं। उनकी कविताएं मानवीय सरोकारों को रेखांकित करती हैं। केदारनाथ अग्रवाल जनतांत्रिक काव्य चेतना के मानवीय सरोकारों के कवि थे। वे संवेदनाओं के पौरुषवान, प्रगतिशील और विद्रोही कवि थे। उनकी पहिचान यथार्थवादी जनकवि की है जो समतामूलक समाज की स्थापना मार्क्सवादी सोच से करने की मंशा रखते थे।
केदारनाथ भाषिक संवेदना, कलात्मक वैशिष्ठय और मानवतावादी सरोकारों के यथार्थवादी सौंदर्य के साहित्यकार थे। इस सम्मान समारोह में साहित्य मंत्री पूर्व निदेशक तुलनात्मक भाषा साहित्य एवं संस्कृति अध्ययन विभाग देवी अहिल्या बाई विश्वविद्यालय इंदौर की श्रीमती डॉ. पद्मा सिंह ने कहा कि केदारनाथ अभावों में जूझती व्यथित मनुष्यता के ह्रास की पीड़ा के कवि हैं, जिसकी आवाज दबकर रह जाती है। मध्य भारत हिंदी साहित्य समिति के प्रधान अरविंद जावलेकर ने कहा कि केदारनाथ का काव्य समाज के अंतिम छोर पर रहने वाले व्यथित व्यक्ति की वेदना की अभिव्यक्ति है ,जिसे अवश्य सुना जाना चाहिए ।