संवाददाता - मोहिता जगदेव
उग्र प्रभा समाचार , छिंदवाड़ा
"संवाद कौशल साधना सारा संसार साध सकती है": प्रो. अमर सिंह
"संप्रेषण कौशल असुरक्षाओं को शक्तिहीन बनाता है": प्रो. अमर सिंह
संप्रेषण कौशल असाधारण प्रतिभा निर्माण की धुरी है, व्यक्तित्व को पूर्णता प्राप्त कराने में इसकी अहम भूमिका है। हमारे शब्द ही हमारी प्रगति का आधार बनते हैं: जी. बी .डेहरिया
"ऐसी कोई चुनौती नहीं जो संवाद कौशल से चित्त न हो": प्रो. अमर सिंह
"लफ्ज लजीज व्यंजन होते हैं, संभाल के परोसिए": प्रो. अमर सिंह
उग्र प्रभा समाचार ,छिंदवाड़ा: पी. जी. कॉलेज छिंदवाड़ा के अंग्रेजी विभाग के छात्रों को जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता हेतु संवाद कौशल के गुरुमंत्र सिखाते हुए प्रो. अमर सिंह ने कहा कि सभी अन्य कौशल की तरह संप्रेषण कौशल भी सतत अभ्यास से अर्जित किया जा सकता है। संवाद कौशल सारे संसार को साधने की साधना है, आपदा को अवसर में बदलने की युक्ति है और चुनौतियों को चित्त करने का जरिया है। लफ्जों में जायका होता है, इन्हें संभल के परोसना चाहिए। ये खामोशी में बर्फ पिघलाने का कार्य करते हैं। भाषाई अनुशासनहीनता अराजकता को जन्म देती है। विभागाध्यक्ष प्रो. दीप्ति जैन ने कहा कि वह संवाद संवाद नहीं होता है जो अपेक्षित परिणाम न दे। हमारा संसार शब्दों की प्रभावोत्पादकता के अनुपात में सिकुड़ता और फैलता है। संवाद कौशल ही आदमी को इंसान बनाता है। संवाद कौशल बिना आदमी बिना पता लिखे लिफाफे के समान है जो कहीं नहीं पहुंचता है। प्रो.तृप्ति मिश्रा ने कहा कि संवाद कौशल हमारी असुरक्षाओं के विरुद्ध खड़े होकर हमारी ओर से हथियार लेकर लड़ता है। बिना वाकपटुता के व्यक्ति को अल्पज्ञानी होने का खतरा उठाना पड़ता है। प्रो. जी. बी. डहेरिया ने कहा कि संप्रेषण कौशल असाधारण प्रतिभा निर्माण की धुरी है, व्यक्तित्व को पूर्णता प्राप्त कराने में इसकी अहम भूमिका है। हमारे शब्द ही हमारी प्रगति का आधार बनते हैं। प्रो. पी. एन. सनेसर ने कहा कि संवाद कौशल आपातकाल में हमारी अच्छी खासी सहायता करता है। संदेश की स्पष्टता किसी भी प्रभावी संचार की नींव होती है। हर पेशेवर व्यक्ति संप्रेषण की सरलता, न्यूनता और विशिष्टता से श्रोता के मन को जीतता है। संप्रेषण में कहानी कहने वाली अनवरत सक्रियता, उत्सुकता और प्रवाहशीलता नितांत आवश्यक है, अन्यथा संप्रेषण की मृत्यु हो जाती है। एक कुशल वक्ता सदैव स्वयं को दर्शकों की जगह रखता है। अच्छे संचारक पैदा नहीं होते हैं, बनते हैं। संवाद कौशल बिना लक्ष्य प्राप्ति कल्पना से परे है। प्रो.नीलिमा सोनी ने कहा कि एक अनुभवी वक्ता विचारों को संगठित रखकर स्वयं को श्रोताओं की मनःस्थिति में शामिल कर लेता है। विशिष्ट शब्दों, वाक्यांशों और ओजस्विता वक्तव्य कौशल की आधारशिला होती है। स्पष्ट उच्चारण, सही शारीरिक भाषा और श्रोताओं का आदर करना वक्ता को बखूबी सीख लेना चाहिए। प्रो. नवनीत भाटिया ने कहा कि संप्रेषण कौशल में प्रवीणता व्यावसायिक प्रोत्साहन, श्रम में गतिशीलता, समाजीकरण, समन्वय, कार्य निष्पादन कुशलता और अपरिचितों में भी पैठ बनाने में मदद करती है।