संवाददाता - मोहिता जगदेव
उग्र प्रभा समाचार ,छिंदवाड़ा
शून्य से शिखर तक पहुँचा छिंदवाड़ा का होनहार सितारा विक्रम
विरासत से तय नहीं होते हैं, सियासत के फैसले, ये तो उड़ान बताती है कि आसमां किसका है।"
आपके अपने, शासकीय स्वशासी स्नातकोत्तर महाविद्यालय छिंदवाड़ा के सभी स्टाफ के सदस्य जिनके मार्गदर्शन तले आप पले, बढ़े और आज जो कुछ हो इस पर हमें गर्व, गौरव और गुमान भी है: प्रो. अमर सिंह ,प्रिंसिपल शासकीय स्नाकोत्तर महाविद्यालय चाँद
उग्र प्रभा समाचार ,छिंदवाड़ा :-हम सब विक्रम से सीखें कि अभावों को ताकत कैसे बनाएं, अपने सपने को जीने के लिए पीड़ाओं के समंदर को कैसे पिएं, जब ठान लें तब यह मान लें कि आसान क्या और मुश्किल क्या, ठोकरों से चलने का प्रशिक्षण कैसे लें, आघातों को सीढियां बना मंजिल पर कैसे चढ़ें, विषमताओं को क्षमताओं में कैसे बदले, विपरीत परिस्थितियों में भी रीति नीति प्रीति से धैर्य कैसे बनाए रखें, विरोधियों के अवरोधों से हिम्मत का पथ प्रशस्त कैसे करें, संकल्प, लगन और अर्जुन सम लक्ष्य केंद्रित होकर जूझने से नामुमकिन को मुमकिन कैसे करें, अदम्य साहस जब सिर चढ़कर बोलता है तो विलासी सुविधाएं कैसे बौनी पड़ जाती है, जब कर्म बेशुमार होते हैं तो रिश्वत, भाई भतीजावाद और नामी गिरामी खानदान कैसे निर्बल हो जाते हैं, छोटे कस्बे/गांव के छोकरे प्रतिभावान कैसे नहीं होते हैं, ऊर्जा बादामों में नहीं, संकल्प में कैसे होती है, एक दिन उद्देश्य खोजने मजबूत कदमों से अकेले चल पड़ो, दुनिया का काफिला कैसे तैयार बैठा है संग देने के लिए, जिसके पास खोने को कुछ नहीं होता है, उसी में सब कुछ प्राप्त करने की पूर्व योग्यता कैसे होती है, संस्कारित तमीज कैसे गैरों के दिलों पर राज करती है, जो खलनायक की भूमिका अदा करे और सम्मान नायक का कैसे पाए, जो भीड़ का तो प्रिय हो ही, भीड़ से इतर अपना वजूद कैसे बरकरार रखे, शून्य सुविधाओं में जन्म लेकर, अपने असीम आत्मबल से दुविधाओं को खूंटी पर टांगकर कैसे अनंत बनने के आकाश में छलांग कैसे लगाना शुरू करे, संभावनाओं के सागर को कैसे एक गागर में कैसे उड़ेले, बदरंगे, बदहाल और बदमाश दुर्भाग्य को सौभाग्य में कैसे बदले, पसीने की एक एक बूंद को निचोड़कर खुद अपने परिश्रम की स्याही से अपने नसीब कैसे लिखे,स्पर्धा के इस गलाकाट काल में बिना कोई धन्नासेठ माई बाप के बंबई की फिल्मी गलियों में छाप कैसे छोड़े, बिना किसी समृद्ध विरासत के विराट होने के बीज अपने सीने में समेंटे यह विक्रम जिस मंजिल पर चल पड़ा है, वे अब रुकने वाले नहीं हैं। तमाम आशीर्वाद आपके पथ को आलोकित अभिभूत अलंकृत करने खड़े हैं। झोंक दो अपने अस्तित्व को अपनी अस्मिता स्थापित करने में। आखिर रेत से तेल निकालने की तरकीब आपसे बढ़कर और कोई नहीं जानता है। अब शुरू होती है, आपके दास्तानों की जिंदगी, अब आपका जीवन अपना निजी नहीं बचा है, आप भारत राष्ट्र की सार्वजनिक धरोहर जो हो चले हो। हम सब आपके गुरू होने के नाते अब तक कुछ देने की कोशिश कर रहे थे। अब आपकी बारी है, जो लिया उसे रजत पटल की कलात्मकता के जरिए लौटाने की। अबकी बार जब आप शासकीय स्वशासी स्नातकोत्तर महाविद्यालय छिंदवाड़ा लौटोगे, तो हमें फक्र होगा अपने होने पर, आपका गुरू होने पर और कॉलेज के वे सभी रजकण जिनके ऊपर फुदक फुदक कर तुमने रंगकर्म के गुर सीखे थे, वे भी आपका अहसान मानेंगे कि तुमको तराशा गया है उनके वक्ष स्थल की निहाई पर रखकर। हम सब ईश्वर से मिन्नतें करते हैं कि शून्य से शिखर पर पहुंचने में हमारे आशीर्वाद और फिर कब, कहां और कैसे काम आएंगे, आपने सिद्ध जो कर दिया है।
हर महान शख्सियत की तरह आपने एक बार फिर चरितार्थ कर दिया है कि:
"विरासत से तय नहीं होते हैं, सियासत के फैसले, ये तो उड़ान बताती है कि आसमां किसका है।"
आपके अपने, शासकीय स्वशासी स्नातकोत्तर महाविद्यालय छिंदवाड़ा के सभी स्टाफ के सदस्य जिनके मार्गदर्शन तले आप पले, बढ़े और आज जो कुछ हो इस पर हमें गर्व, गौरव और गुमान भी है।
प्रो. अमर सिंह ,प्रिंसिपल शासकीय स्नाकोत्तर महाविद्यालय चाँद