संवाददाता - मोहिता जगदेव
उग्र प्रभा समाचार ,छिंदवाड़ा
"भाग्य पर भरोसा बहानेबाज की धार्मिक घोषणा होती है": प्रो. अमर सिंह
"कर्ता के अधूरे कर्म के फायदे औरों को मिलते हैं": प्रो. अमर सिंह
"जिज्ञासा जीवन को अनंत गहराई में उतारती है": प्रो. अमर सिंह
जिसे ठोकरें प्रशिक्षित करें, उसे हराना नामुमकिन होता है : प्राचार्य राजेश कुमार सनोडिया
उग्र प्रभा समाचार,छिंदवाड़ा: पी. जी. कॉलेज छिंदवाड़ा की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई द्वारा वनगांव में चल रहे सात दिवसीय विशेष शिविर में स्वयंसेवकों के संतुलित जीवन प्रबंधन हेतु आयोजित बौद्घिक चर्चा कार्यक्रम में मुख्य अतिथि वक्ता बतौर बोलते हुए प्रो. अमर सिंह ने कहा कि अगर हमारे इरादे फौलादी हैं तो श्रम की बर्बादी की गुंजाइश नहीं बचती है। जब तक कर्ता कर्म को अंतिम अंजाम तक नहीं पहुंचाता है, तो फायदा स्वयं को नहीं, औरों को मिलता है। लक्ष्य के सिवा और कुछ दिखना वक्त, शक्ति व श्रम की फिजूलखर्ची है। जिज्ञासा जीवन को गहराई में उतारती है। नकारात्मक रवैया रचनात्मक ऊर्जा को चूस लेता है। भाग्य पर भरोसा बहानेबाजों की धार्मिक आड़ होती है। अस्पष्ट, अपरिपक्व अव्यावहारिक विचारों की आंधी में उड़कर युवा अपनी जवानी न गवाएं। ठान लेने वाले लोग क्या मुश्किल है और क्या आसान है, में अंतर नहीं करते हैं। फौलादी इरादों से उत्पन्न उत्कृष्ट विचार ऊर्जा व्यक्ति से दुर्लभ कार्य करवा देती है।"युवा अपारदर्शी विचारों की आंधी में ऊर्जा न गवाएं": प्रो. अमर सिंह
"सफलता वक्त की निचोड़ी बूंदों का कर्मों पर निवेश है": प्रो. अमर सिंह
"खोने को कुछ न होना सब कुछ प्राप्ति की वजह बने": प्रो. अमर सिंह
विषमताओं को क्षमताओं में बदले बिना कोई भी सिद्धि प्राप्त नहीं होती है। महानता वक्त की निचोड़ी बूंद पर कर्मों का निवेश होती है। कार्यक्रम अधिकारी प्रो.महेंद्र कुमार साहू ने कहा कि बेशुमार कर्मशील ही अकूत सत्ता, दौलत व सुकून के भागीदार बनते हैं। खोने के लिए कुछ न होने के अभाव सब कुछ प्राप्त करने के अवसर होते हैं। प्रो. मंशाराम उइके ने कहा कि साहसी के समक्ष विलासी सुविधाएं बौनी पड़ जाती हैं। विलासिता संभावनाओं को विकसित नहीं होने देती है। संस्था के प्राचार्य राजेश कुमार सनोडिया ने कहा कि जिसे ठोकरें प्रशिक्षित करें, उसे हराना नामुमकिन होता है। जो आघात, अवरोध, अभाव को सीढ़ी बनाए, उसके लिए कुछ भी नामुमकिन नहीं होता है। शिक्षक राकेश विश्वकर्मा ने कहा कि जीत आघातों पर वार करने की क्षमता पर निर्भर करती है। मनुष्य की विलासी सुविधाएं उसकी दुविधाओं की सीधी जिम्मेदार होती हैं।