संवाददाता - मोहिता जगदेव
उग्र प्रभा समाचार ,छिंदवाड़ा
"बीते की ग्लानि नहीं, पल में जीने की जीत दिलाती है": प्रो. वासनिक
" स्पर्धा की नींव उसूलों पर हो, न कि खोखली शोहरत पर ": प्रो. लक्ष्मीचंद
"संकट वीरपुरुषों को परखने की पीड़ादायक कसौटी होते हैं": प्रो. अमर सिंह
"विफलता की आंधियों में सफलता के बीजारोपण होते हैं ": प्रो. पटवारी
"संघर्षों की भट्टी की हदों में पके बिना कोई भी बेहद नहीं होता है ": प्रो. सनेसर
उग्र प्रभा समाचार , छिंदवाड़ा: पी. जी. कॉलेज छिंदवाड़ा के स्वामी विवेकानन्द कैरियर मार्गदर्शन विभाग द्वारा यूपीएससी परीक्षा पास करने की चुनौतियों पर आयोजित कार्यशाला को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता नागपुर विश्वविद्यालय के लोक प्रशासन विषय के विभागाध्यक्ष प्रो. जितेंद्र वासनिक ने सभाकश में उपस्थित विभिन्न स्पर्धाओं की तैयारी कर रहे छात्रों को आगाह करते हुए कहा कि गिरने से डरने वाले कभी भी शिखर फतह नहीं करते हैं। स्पर्धात्मक पास करने के लिए पत्थर को पानी बनाने सम प्रयास करना होता है। विचारों की शक्ति का कोई सीमित दायरा नहीं होता है। अनर्थ बीते कल की ग्लानि नहीं, वर्तमान में जीने की जिजीविषा जीत दिलाती है। प्राचार्य प्रो. लक्ष्मीचंद ने कहा कि स्पर्धा तैयारी की नींव उसूलों पर खड़ी हो, न कि खोखली शोहरत पर टिके। आत्मानुशासन अहमियत बढ़ाता है, लक्ष्य प्राप्ति की लगन, संकल्प व फोकस व्यक्ति को पारदर्शी तरीके से लक्ष्यगामी बनाते हैं। प्रो. अमर सिंह ने कहा कि हालातों से उपजी स्थिति से समझौते नहीं, परिस्थिति को अपने पक्ष में करने की कुव्वत रखने वाले बाजी मार जाते हैं। निडरता लक्ष्य से भटकने नहीं देती है। जीवन में संकट वीरपुरुषों को परखने आते हैं। विलासी स्पर्धात्मक कौशल में माहिर नहीं होते हैं। कोशिशों को विराम न देना आलस्य से दूर रखता है।
ऐसी कोई जिद नहीं होती है, जिसको इनाम नहीं मिलता है। सृष्टि के कार्यक्षेत्र में आत्मनियंत्रण, एकाग्रता व निष्ठा की परीक्षा होती है। इस अवसर पर प्रो. टीकमणी पटवारी ने कहा कि विफलता की आंधियों में सफलता के बीजारोपण होते हैं। जब आंखों में अरमान पाल लो तो न तो कुछ मुश्किल होता है, और न आसान। कुछ कर दिखाने वाले बहानों की आड़ नहीं लेते हैं। संभागीय नोडल अधिकारी प्रो. पी.एन. सनेसर ने कहा कि संघर्षों की भट्टी मकी हदों में पके बिना कोई भी बेहद औलिया, पीर या फकीर नहीं बनता है।अनावश्यक को छोड़े और आवश्यक को किए बिना कोई भी महान नहीं बना है। प्रो. महेंद्र साहू ने कहा कि हर सफल छात्र अपने से पूर्व के इतिहास को छोड़कर स्वयं का इतिहास रचता है। हर प्रतियोगी अपनी निजता को उत्कृष्टता के नवीन आयाम दिए बिना सफलता की कल्पना भी नहीं कर सकता है।