संकलन - मोहिता जगदेव
उग्र प्रभा समाचार,छिंदवाड़ा
कवि - विजय आनंद दुबे
उग्र प्रभा समाचार के साहित्य अंक पर प्रस्तुत है राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त सेवानिवृत्त शिक्षक व सुप्रसिद्ध कवि श्री विजय आनंद दुबे जी की रचना
🌹मौसमी अतुकांत*🌹
गिरगिट की कोई
आचार संहिता नहीं होती
क्योंकि जंगल में ऐसा कोई
कानून ही नहीं बना..
ये बड़े ठाठ के साथ
अपने घोसलों से
बाहर आते हैं..
तरह तरह के
चित्ताकर्षक रंग दिखाते,
लुभाते और सभी को
वशीभूत करके
फिर अगले जनदर्शन तक
छिपकली में परिवर्तित होकर
शिकार करके
महापुरुषों की
प्रतिकृतियों के पीछे
दुबक जाते हैं..
फिर अगले जनदर्शन तक..
बस यही है इनका
जंगललोकतंत्र..
■बकलम-कवि विजय आनन्द दुबे