संवाददाता मोहिता जगदेव
उग्र प्रभा समाचार ,छिंदवाड़ा
स्वर्ग के देवता सब उत्सव मना रहे हैं,
धरती के देवता के स्वागत की घड़ी है ": प्रत्यूष जैन
वर्तमान के वर्धमान कहां तुम चले गए,
तुमसे था भगवान का अहसास, सारे व्याख्यान चले गए ": श्रीमती पद्मा जैन
मौत सामने खड़ी हो और अभिमन्यु बन मरने का साहस तो दिखा ": प्रो. अमर सिंह
उग्र प्रभा समाचार,छिंदवाड़ा:म. प्र. आंचलिक साहित्यकार परिषद की मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन संकट मोचन हनुमान मंदिर नरसिंहपुर रोड छिंदवाड़ा में आचार्य विद्यासागर जी महाराज के महाप्रयाण को श्रद्धांजलि के साथ आयोजित हुई। पूर्व आकाशवाणी उद्घोषक अवधेश तिवारी ने जग की खुशहाली की कामना करते हुए अपनी रचना यों पढ़ी " चलो वेदना जहां श्रमित मन को किंचित विश्राम मिले". मुख्य अतिथि श्री रत्नाकर रतन ने अपनी कविता" हमने अनुभूतियों के दिए जलाके रखे हैं " सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। काव्य गोष्ठी अध्यक्ष प्रो. अमर सिंह ने "मौत सामने खड़ी हो तब अभिमन्यु बन मरने का साहस तो दिखा" उद्गार से अपनी रचना का वाचन किया। युवा कवि प्रत्यूष जैन ने आचार्य विद्यासागर जी को श्रद्धांजलि इस प्रकार दी" स्वर्ग के देवता सब उत्सव मना रहे हैं, धरती के देवता के स्वागत की घड़ी है"। वरिष्ठ कवि लक्ष्मण प्रसाद डहेरिया ने अपनी कविता"मनमोहना मत छेड़ो मुरली की तान, मैं तो प्रेम दिवानी भोली नादान" शब्दों से पढ़ी
श्रीमती मोहिता मुकेश कमलेंदु ने "रिश्ते" शीर्षक से कविता यों पढ़ी "सूखे पत्तों से होते हैं रिश्ते, हवा के एक झोंके में ही, टूट जाते हैं साख से। गिरते हैं, फड़फड़ाते हैं, और बिखर कर खो देते हैं अपना अस्तित्व"। सचिव रामलाल सराठे रश्मि ने "नटनी सी नाचे बन वसुधा भी नववधू, सांची कहूं बात कि बसंत आयो है" पढ़कर बसंत का मार्मिक चित्रण किया। स्वप्निल जैन ने "मैं कविता नहीं, आपकी ही पीड़ा को पढ़ रहा हूं, शब्द शब्द में आपकी गाथा को गढ़ रहा हूं"। विशिष्ट अतिथि नेमीचंद व्योम ने "नहीं विवेक वो अगर उठाया नहीं बीज को यदि अपनाया, किसी भ्रमित भूले भटके को, अगर नहीं कोई राह दिखाया" गीत पढ़ा। श्रीमती निर्मला घई ने अपनी कविता पढ़ी "सब ख्वाब पूरे हो गए, पर हम अधूरे हो गए, दिल के कोने में पड़े, वे गीत अधूरे हो गए।" नंद किशोर नदीम ने "कदम राखें ऐसे में कैसे हम संभार के, बसंती बेटी बयार जा, घूंघट गई उघार के" पढ़कर बसंत ऋतु के सौंदर्य का वर्णन किया। पद्मा जैन ने आचार्य विद्यासागर महाराज को अपनी श्रद्धांजलि यों दी "वर्तमान के वर्धमान कहां तुम चले गए, तुमसे था भगवान का अहसास, सारे व्याख्यान कहां चले गए"। काव्य गोष्ठी में नंद कुमार दीक्षित, अनुराधा तिवारी, पद्मा जैन, प्रीति जैन शक्रवार, राजेंद्र यादव, शशांक दुबे, श्रीमती मंजू देशमुख, महेंद्र सिंह राजपूत ने भी काव्य गोष्ठी में कविताएं पढ़ीं। गोष्ठी का मंच संचालन श्रीमती मंजू देशमुख ने तथा आभार प्रदर्शन रामलाल सराठे ने किया।